मलेरिया
Add caption मलेरिया का घरेलू उपचार मलेरिया को आयुर्वेद में विषम ज्वर भी कहते हैं | यह एनॉफिलीज नामक मच्छर के काटने से होता है | यह मच्छर दूसरों का रक्त चूस कर जीवित रहता है | इस ज्वर में रोगी इतना कमजोर हो जाता है कि उसके शरीर की रोगरोधक क्षमता पूर्णतया समाप्त हो जाती है | वह अन्य रोगों के संक्रमण को रोक नहीं पाता | मलेरिया बुखार होने पर जोर का सिरदर्द और शरीर की मांसपेशियों में पीड़ा होती है और शरीर का तापमान काफी बढ़ जाता है | सर्दी लगती है | एकाएक तापमान बढ़ जाने के बाद पसीना आने पर रोगी राहत अनुभव करता है | तापमान में कमी आती है और उल्टियां भी आ जाती हैं | कभी-कभी पेट में दर्द और दस्त भी आरंभिक लक्षणों के रूप में प्रकट होते हैं | मलेरिया होने पर एक या दो दिन के बाद बुखार उतर जाता है लेकिन पुनः चढ़ भी जाता है | मलेरिया की खास दवा कुनैन मिश्रित दवाएं हैं | मलेरिया के जीवाणु लाल रक्त कणों को अपना शिकार बनाते हैं | उपचार 1. मलेरिया होने पर रक्त की जांच करवा लेनी चाहिए | इससे उपचार में सुगमता होती है | नीबू पानी मलेरिया की खास दवा है | चार दिन पिलाते रहने से मल