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Showing posts from October, 2017

Chikungunya Causes Symptoms and Ayurvedic Treatment

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Ayurvedic Treatment for Chikungunya- चिकनगुनिया का आयुर्वेदिक इलाज! चिकनगुनिया, कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार   Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! चिकनगुनिया - चिकनगुनिया भी डेंगू बुखार की तरह वात प्रधान ज्वर है जो एक प्रकार के विषाणु संक्रमण ( virus ) से होता है | यह विषाणु Aedes Aegypti नामक मच्छर के काटने से होता है आयुर्वेद में इसको पित्तजन्य ज्वर कहा जाता है और 7 दिन में शांत हो जाता है | परन्तु रोगी लम्बे समय तक इसके प्रभाव से मुक्त नहीं हो पाता है | इसलिए सही समय पर इसका उपचार कराना जरूरी है |  चिकनगुनिया के लक्षण -  अचानक ठंड लगकर बहुत तेज बुखार आना  जोड़ों और मांसपेशियों में तेज दर्द  सिरदर्द होना  भूख ना लगना या कम लगना  पेट में दर्द होता है |  आयुर्वेदिक चिकित्सा -  डेंगु की तरह ही चिकनगुनिया बुखार की चिकित्सा लक्षणों के आधार पर की जाती है |  गिलोय, अनंतमूल, मुनका और सौंफ का काढ़ा बनाकर उसमे गुड़ मिलाकर रोगी को पीने को

Ayurveda Is The Best For Skin Disease Treatment

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Ayurvedic Treatment for Skin Disease - चर्म रोगों का आयुर्वेदिक इलाज! आयुर्वेद में है चर्म रोग का सम्पूर्ण उपचार     Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! चर्म रोग के कारण और आयुर्वेदिक उपचार  -  Eczema Patient Live Feedback about his Skin Problem Eczema Cured in 15 Days By Dr. JP Sharma त्वचा  - हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है  जिसको हम अक्सर अनदेखा कर देते है | त्वचा हमारे शरीर का बाहरी हिस्सा है | धूल- मिटटी, धूप, मानसिक तनाव और खान-पान की लापरवाही के कारण त्वचा पर बुरा प्रभाव पढ़ता है | और त्वचा में कई प्रकार के रोग पैदा हो जाते है | जैसे - जैसे उम्र बढ़ती जाती है त्वचा की नमी कम होने लगती है | इसीलिए त्वचा की प्रतिदिन देखभाल करना बहुत जरूरी है | चर्म रोग के कारण    - त्वचा के माध्यम से शरीर के मल पसीने के रूप में बाहर  निकलते है | जब तक हमारी त्वचा स्वस्थ रहती है तब तक शरीर के अंदर किसी भी प्रकार की गंदगी नहीं रहती है | लेक

Ayurveda Is The Best To Cure Hair Fall

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आयुर्वेदिक उपचार से रोकें बालों का झड़ना / बालों का गिरना -  Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! बालों का गिरना / झड़ना कारण और आयुर्वेदिक उपचार -  बालों का गिरना -  आजकल आदमी हो या औरत सभी बालों के टूटने, गिरने, और झड़ने की समस्या से परेशान है | रोजाना 100 से ज्यादा बाल गिरते  टूटते रहते है | इसको समान्य समझना चाहिए परन्तु यदि बालों के गिरने की समस्या ज्यादा हो तो इसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि अगर इसका उपचार ना किया जाये तो सिर के सभी बाल झड़ जाते है और गंजापन हो जाता है जिसको ठीक करना मुश्किल होता है | इसलिए तुरंत बालों को झड़ने से रोकना अति जरुरी है |  बालों के गिरने का कारण -  आज हर कोई बालों के टूटने गिरने की समस्या से परेशान है जिसके बहुत से कारण हो सकते है जो इस प्रकार है  तनाव में अधिक रहना  शरीर में खून की कमी होना  संतुलित आहार ना लेना  उम्र का बढ़ना  बालों का रूखापन, बालों में तेल का प्रयोग न करना  गीले बालों में कंघी करना और बाँध लेना 

Ayurveda Is The Best For Hiccough Treatment

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आयुर्वेद में है हिक्का / हिचकी का सबसे उत्तम उपचार   हिचकी, लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक उपचार -  Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! हिचकी / हिक्का -  हिक्का को आम बोलचाल की भाषा में हिचकी कहते है |  जब शरीर में प्राणवायु प्रकुपित होकर बढ़े हुए वेग के साथ मुख से बाहर निकलने के लिए उतावली होती है तो अचानक गले से हिक हिक शब्द की आवाज निकलती है इसी को हिक्का या हिचकी कहते है | जब भी हिक्का का वेग शुरू होता है तो बहुत देर तक लगातार हिचकी आती रहती है | दस्त, बुखार, उलटी, जुकाम और पीलिया के बाद हिक्का रोग की उत्पत्ति होती है |  हिचकी के लक्षण - रोगी को बार हिचकियाँ आने लगती है अचानक गले से हिक हिक शब्द की आवाज आती है साँस लेने में परेशानी होती है | सिरदर्द, पेट फूलने और पेट दर्द की समस्या होती है |  हिचकी होने का कारण -  धूल, धुआं और धूप तथा तेज हवा में रहने से |  अधिक व्यायाम करने से और अधिक काम करने से  पानी कम पीने से और अधिक पैदल चलने से | |  मल

Ayurveda Is The Best For Muscle Cramp Treatment

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आयुर्वेद में है मांसपेशियों की ऐंठन के लिए सर्वश्रेष्ठ उपचार   Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! मांसपेशी में ऐंठन, कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार -     मांसपेशी की ऐंठन -  आजकल मांसपेशी में ऐंठन होना आम बात हो गयी है |  ऐंठन शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है | शरीर के अंगों में अकड़न, नस चढ़ना , Cramps आदि को मांसपेशी की ऐंठन आदि नामों से जाना जाता है | यह रोग ज्यादातर हाथों , पैरों और टांगों में होता है |  ऐंठन का कारण - मांसपेशी ऐंठन के बहुत से कारण हो सकते है | ऐंठन होने का मुख्य कारण मानसिक तनाव, शरीर में विटामिन बी और डी की कमी  , मिनरल्स, कैल्शियम,आयरन और खून की कमी होना माना गया है शरीर में कमजोरी होने के कारण जब मांसपेशी पर अचानक से दबाव पड़ता है तो ऐंठन या Cramps होने की संभावना अधिक रहती है | जिसके कारण असहनीय तेज दर्द होने लगता है और नसों में अकड़न बढ़ती जाती है | आमतौर पर यह समस्या पैरों की नसों और टांगों की नसों में देखने को मिलती है | 

Best Treatment In Ayurveda For Urticaria / Hives

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क्या आप भी हैं शीतपित्त से परेशान ! आयुर्वेद से करें समाधान - शीतपित्त, कारण, लक्षण और उपचार -   Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! शीतपित्त - यह एक प्रकार का चर्मरोग ( skin / चमड़ी ) होता है जिसे शीतपित्त या छपाकी के नाम से जाना जाता है | जिसमें रोगी के शरीर पर गहरे लाल और गुलाबी रंग के चकत्ते ( Rash ) और छोटे छोटे दाने निकलते है | इनमें लगातार खुजली होती रहती है और बार बार हाथ लगाने पर यह रोग बढ़ता जाता है | यह रोग हिस्टामिन नामक जहर के प्रभाव में आने से, कभी गर्मी से ठंडी हवा में आने से ,दूषित वातावरण में रहने से अधिक होता है | हर साल 10 मिलियन से अधिक भारतीय इस रोग से पीड़ित होते है आयुर्वेद में शीतपित्त का उपचार संभव है |  शीतपित्त होने के कारण - शीतपित्त रोग पाचन तंत्र की कमज़ोरी या पेट की खराबी, रक्त ( खून ) में गर्मी पैदा होने के कारण अधिक होता है | कब्ज़ रहने से, एलर्जी होने से, तेल और मिर्च मसाले, खट्टी चीजें और बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों को

Say Good Bye To Uric Acid With Ayurvedic Treatment.

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15 दिनों के आयुर्वेदिक उपचार से करें यूरिक एसिड को बाय - बाय  -  Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! यूरिक एसिड - जब शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है तो  यह शरीर के जोड़ों में जमा होने लगता है जिससे गठिया या Gout नामक बिमारी हो जाती है जिससे रोगी के पूरे शरीर के जोड़ों में, हाथों और पैरों में तेज दर्द होता रहता है | रोगी को चलने-फिरने, उठने और बैठने में भी कष्ट होता है | यह रोग आदमी और औरतों दोनों में पाया जाता है | आयुर्वेदिक चिकित्सा और सही खानपान से इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है |  SEE Our Uric Acid Patient Live Feedback… यूरिक एसिड होने का कारण - शरीर में यूरिक एसिड होने का कारण Purines नामक रासायनिक यौगिक का बढ़ना माना गया है  जो खाने पीने की चीजों में पाया जाता है | विशेष रूप से जब मनुष्य purines युक्त पदार्थों को खाता है तो liver खाये हुए पदार्थों को पचाने के लिए purines को तोड़ने लगता है और waste product को मूत्र में यूरिक एसिड के

Best Diet Chart For Typhoid Fever Patients

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टाइफाइड बुखार में रखें खानपान का विशेष ध्यान -  Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! टाइफाइड बुखार को सिर्फ इलाज से ही ठीक नहीं किया जाता सकता बल्कि इस बिमारी को जड़ से ख़त्म करने के लिए रोगी का खान पान भी ठीक होना जरुरी होता है | क्यूंकि टाइफाइड बुखार दूषित और गंदे पदार्थों को खाने से पैदा होता है | जिसके कारण शरीर कई तरह के विकार पैदा होने लगते है और शरीर में कमजोरी होने लगती है |  इसीलिए हमने टाइफाइड फीवर में क्या खाना चाहिए और किसको खाने से परहेज करना चाहिए इसके लिए डाइट चार्ट तैयार किया है जोकि इस प्रकार है - Diet Chart For Typhoid Patients - टाइफाइड बुखार में क्या खाएं -  नाश्ते में रोगी को ताजें फलों जैसे पपीता, अंगूर, मुसम्मी का सेवन कराना चाहिए अगर हो सके तो ताजे फलों का जूस पीने को दिया जा सकता है | बकरी का दूध पीने को दिया जा सकता है यह उत्तम माना गया है अगर बकरी का दूध ना मिले तो गाय का दूध पीने को दे सकते है |  रोगी को प्रोटी