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Showing posts from September, 2017

Best Diet Plan for Asthma Patients

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कैसा होना चाहिए अस्थमा रोगी का आहार -  Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! दमा या अस्थमा एक संक्रामक रोग है | वर्तमान समय में बहुत सारे लोग इस रोग से पीड़ित है | आमतौर पर यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी होता है परन्तु कई बार यह मौसम के बदलने और दूषित वातावरण में रहने से या खांसी जुकाम से लंबे समय तक पीड़ित रहने से हो जाता है | संतुलित और पौष्टिक आहार तथा चिकित्सा के द्वारा अस्थमा रोग को कम किया जा सकता है |अस्थमा का पूरी तरह से इलाज करने के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है, लेकिन संतुलित आहार अस्थमा के हमलों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।  अस्थमा रोगी को खाना चाहिए या क्या नहीं खाना चाहिए इसके लिए Diet Chart इस प्रकार है - Best Diet For Asthma Patients   नाश्ते में रोगी को फल खाने को देने चाहिए क्यूंकि फल एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो अस्थमा के रोगी के लिए लाभदायक है |  बकरी का दूध पीना रोगी लिए उत्तम होता है |  रोगी को kiwi फल, संतरा अंगूर आदि खाने को

Ayurvedic Treatment Is The Best For Typhoid Debility

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Ayurvedic Treatment for Weakness After Typhoid - टाइफाइड कमजोरी का आयुर्वेदिक इलाज! टाइफाइड कमजोरी का आयुर्वेदिक इलाज -  Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! टाइफाइड कमजोरी    - टाइफाइड फीवर   का मुख्य कारण Salmonella Typhi नामक जीवाणु / बैक्टीरिया है  जो दूषित पदार्थों को खाने से मुँह के रास्ते आँतों ( Intestines ) में जाकर विष का निर्माण करता है | यह जीवाणु अंतड़ियों जाकर सूजन और जख्म कर देता है | टाइफाइड बुखार 3 से 4 हफ़्तों तक बना रहता है जिसके कारण रोगी को शरीर में कमजोरी  पैदा हो जाती है | क्यूंकि बिमारी कोई भी क्यों ना हो वह शरीर को अंदर ही अंदर खोखला करती रहती है जिससे रोगी कमजोर हो जाता है | टाइफाइड बुखार लिवर और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है जिससे रोगी को खाया हुआ भोजन नहीं पचता और भूख कम लगती है हाथों पैरों में दर्द रहता है | खून की कमी होने से रोगी खुद को बेजान महसूस करता है | टाइफाइड के कारण होने वाली कमजोरी में सिर के बाल झड़ने लगते है  आँखों की

Allopathic treatment of typhoid

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टाइफाइड का एलोपैथिक उपचार -  Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! टाइफाइड बुखार - आज कल टाइफाइड बुखार एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है हर दूसरा व्यक्ति टाइफाइड फीवर से पीड़ित है | जिसका कारण उनका रहन सहन और खान पान ठीक ना होना है | जिसके कारण वह इस बैक्टीरियल बुखार से प्रभावित होते है | आधुनिक या एलोपैथी में टाइफाइड बुखार का उपचार या इलाज केवल antibiotic therapy से किया जाता है |   टाइफाइड की एलोपैथी दवा  जोकि इस प्रकार है -  1) Ciprofloxacin - इसका प्रयोग 7 से 14 दिन तक किया जाता है गर्भवती महिला और छोटे बच्चों में इसका प्रयोग नहीं करते |  2) Injection Ceftriaxone - टाइफाइड बुखार में यह अच्छा परिणाम देता है | single dose 3 gm /दो दिनों तक या 4 gm सिर्फ एक दिन में देते है  3) Amoxicillin clavulanate -  इसका प्रयोग भी दिन में दो बार 14 दिन तक करते है |  4) Ofloxacin - इसकी 200 से 800 mg. divided doses खायी जाती है |  5) Typhoid Vi Polysacchoride  vaccine - यह इ

Ayurveda is the Best for Asthma Totake

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अस्थमा के लिए आयुर्वेद में है सबसे अच्छा इलाज / जानें अस्थमा के लिए टोटके -   Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! अस्थमा - यह एक प्रकार का सांस से संबंधित रोग माना गया है जिसमे रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है रोगी को साँस लेते हुए हवा को अंदर खींचने और बाहर निकालने में दिक्क्त होती है और उसका साँस रुकने लगता है | अस्थमा फेफड़ों में इन्फेक्शन होने के कारण होता है जो धीरे धीरे बढ़ता रहता है | इसके इलावा धूल मिटटी वाले वातावरण में रहने से एलर्जी होने पर भी अस्थमा होने की संभावना रहती है | आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में इसका उपचार कई तरह के एंटीबायोटिक और इनहेलर आदि से किया जाता है अस्थमा का पूर्ण रूप से उपचार एलोपैथी में संभव नहीं है | परन्तु आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस रोग का उपचार हो सकता है इसके लिए चिकित्सक की सलाह से ,अपने खान पान और साफ सफाई तथा अपनी दिनचर्या को ध्यान में रखकर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है |  अस्थमा के टोटके -  सुहागे की

The Powerful And Natural Remedies In The Sinus Infection

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साइनस संक्रमण में शक्तिशाली और प्राकृतिक उपचार -   Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! साइनस  - यह नाक /Nose का रोग होता है | नाक के चारों और की हड्डियों के बीच एक cavity  होती है, जिसको साइनस कहा जाता है | इस पर श्लेष्मा झिल्ली की परत होती है, जब रोगी जुकाम से ज्यादा दिन तक पीड़ित रहता है तो यह साइनस श्लेष्मा अधिक बनाने लगते है जिससे नाक की झिल्ली में सूजन आ जाती है जिसके कारण साँस लेने में दिक्क्त होने लगती है | आयुर्वेद में इसको दुष्ट प्रतिश्याय कहा जाता है जो जुकाम का बिगड़ा हुआ रूप माना गया है | यह नाक में बैक्टीरिया, वायरल के बढ़ने से होता है | बार बार होने वाले साइनस को आयुर्वेदिक दवाओं से आसानी से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है | इस रोग का ज्यादा प्रकोप सर्दी के मौसम में होता है | आधुनिक भाषा में इसको sinusitis कहा जाता है | सीटी-स्कैन और MRI से साइनस संक्रमण का पता लगाया जाता है |   साइनस के लक्षण -  साइनस होने पर सिर में भारीपन और  सिरदर्द होता रह

Swelling Cause And Its Best Cure In Ayurveda

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सूजन / शोफ, कारण, लक्षण  और आयुर्वेद में इसका सबसे अच्छा इलाज -   Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! सूजन - शरीर के अलग-अलग अंगों का फूलना सूजन / शोफ / शोथ कहलाता है | इस रोग से पीड़ित रोगी के शरीर के अंगों में जैसे हाथों, पैरों, चेहरे, आँखों आदि स्थानों पर सूजन होने लगती है जिसके कारण दर्द होने पर रोगी परेशान होने लगता है |  सूजन के कारण - सूजन रोग होने के कई कारण माने गए है इनमें प्रमुख कारण खून की कमी , शरीर के किसी भाग तक खून का ठीक से ना पहुँचना / रक्त संचार सही प्रकार से ना होना,  और  शरीर में दूषित हुए पदार्थों और द्रवों का इकठा होना माना गया है यह दूषित पदार्थ शरीर से जब बाहर नहीं निकल पाते तब शरीर के अंगों में रुकावट पैदा करके  अपना प्रभाव डालते है जिनके परिणाम स्वरूप सूजन / शोथ / शोफ हो जाता है | इसके इलावा सूजन रोग का कारण पेट का साफ़ ना होना, शरीर के कुछ अंगों का ठीक प्रकार से काम ना  करना, या किसी रोग से पीड़ित होना भी माना गया है जै

How Ayurveda is the Best in Typhoid then Allopathy

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टाइफाइड बुखार में आयुर्वेदिक उपचार सबसे अच्छा है बजाय एलोपैथी के ! Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! टाइफाइड बुखार आज के समय में गंभीर समस्या बनता जा रहा है | बच्चों से लेकर बजुर्ग सब इस बुखार से पीड़ित हो रहे है जिसका मुख्य कारण  Salmonella नामक बैक्ट्रिया माना गया है जो कि दूषित खान पान के कारण पेट में जाकर संक्रमण पैदा करता है और धीरे धीरे शरीर में रहकर रक्त को दूषित करता हुआ लिवर और अंतड़ियों को संक्रमित कर देता है |  इसीलिए टाइफाइड बुखार को हल्के में ना लेकर इसकी चिकित्सा जल्दी से जल्दी करानी चाहिए अगर इसकी चिकित्सा ठीक समय पर नहीं की जाती तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते है जैसे रोगी की आंतों में सूजन होने पर उसमें से खून का रिसाव होने लगता है | लिवर ठीक तरह से काम नहीं कर पता आदि |  टाइफाइड बुखार के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा सबसे उत्तम मानी गयी है जिसके परिणाम बहुत बढ़िया मिलते है कुशल वैद के आयुर्वेदिक उपचार से और संतुलित खानपान और साफ सफाई को ध्

Dengue Fever Causes Symptoms and Ayurvedic Treatment

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डेंगू बुखार के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार -   Get Ayurvedic Treatement in JPS AYURVEDIC PHARMACY and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit JPS AYURVEDIC CLINIC TODAY! डेंगू बुखार - डेंगू बुखार भी मलेरिया की तरह मच्छरों के काटने से होता है, डेंगू एक प्रकार का संक्रामक रोग माना गया है जो एडीज नामक मच्छरों के काटने के कारण होता है डेंगू से संक्रमित रोगी को बहुत तेज़ बुख़ार हो जाता है और सिरदर्द, शरीर के अंगों में तथा जोड़ों में तेज़ दर्द होने लगता है चेहरे गर्दन और पीठ पर लाल और गुलाबी रंग के चकत्ते या रैश हो जाते है | साधारण भाषा में डेंगू बुख़ार को हड्डी तोड़ बुख़ार भी कहा जाता है | यह रोग गर्मी के मौसम में महामारी की तरह फैलता जाता है | छोटे बच्चों में यह रोग बड़ों की अपेक्षा अधिक पाया जाता है | हर साल पुरे संसार में 2 करोड़ से ज्यादा लोग डेंगू बुखार से पीड़ित हो जाते है |  डेंगू बुखार होने का कारण - डेंगू बुखार का मुख्य कारण एडीज नामक मच्छर है जिसके काटने से डेंगू वायरस व्यक्ति के शरीर में जाकर फैलने लगता है और वह डेंगू वायरस से पीड़ित हो जात

Headache / Migraine Causes Symptoms and Ayurvedic Treatments

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सिरदर्द /माइग्रेन के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार -  Get Ayurvedic Treatement in JPS AYURVEDIC PHARMACY and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit JPS AYURVEDIC CLINIC TODAY! सिरदर्द  - सिरदर्द या Headache  में सिर, गर्दन या कभी कभी गर्दन के ऊपरी भाग में दर्द होता है | आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह समस्या आम होती जा रही है | सिर में दर्द होना कोई रोग नहीं है यह तो केवल लक्षण माना गया है | आमतौर पर सिरदर्द की कोई गंभीर वजह नहीं होती इसके  होने के कई कारण हो सकते है |  जैसे कि अधिक चिंता करना या कोई गंभीर सिर के रोग आदि | सिरदर्द या माइग्रेन को अपनी दिनचर्या में बदलाव करके और रोज़ाना व्यायाम करके ठीक किया जा सकता है | सिरदर्द सिर के कौन से हिस्से , कौन से समय में या किस तरह का हो रहा है आदि कि को ध्यान में रखकर ही चिकित्सा करनी चाहिए | मुख्यतौर पर सिरदर्द चार प्रकार के माने गए है - Migraine , Stress Headache , Tumor Headache , Sinus Headache  माइग्रेन के लक्षण  (  Migraine ) -  इसमें आमतौर पर सिर के आधे भाग में दर्द होता है | सिरदर्द के सा

Constipation Causes Symptoms and Treatment

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कब्ज / विबन्ध के कारण, लक्षण और उपचार - Get Ayurvedic Treatement in JPS AYURVEDIC PHARMACY and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit JPS AYURVEDIC CLINIC TODAY! कब्ज या विबन्ध - पेट ठीक से साफ़ ना होना और मल त्याग करने में परेशानी  होना कब्ज या विबंध कहलाता है | कब्ज पाचन क्रिया का विकार माना गया है इस रोग में रोगी का पाचन तंत्र खराब हो जाता है जिसके कारण खाया हुआ भोजन नहीं पचता जो बाद में कब्ज का कारण बनता है |  कब्ज रोग में मल का त्याग कष्टकारी हो जाता है | रोगी को मल त्याग करने के लिए अधिक बल लगाना पड़ता है और मल त्याग में मुश्किल होती है |  कब्ज के लक्षण -  कब्ज रोग में मल सख्त हो जाता है और मल त्याग के समय कठिनाई होती है |  रोगी की जीभ मटमैली या सफ़ेद रंग की दिखाई देती है |  मुँह का स्वाद ख़राब हो जाता है और मुख से दुर्गन्ध आने लगती है |  भूख कम लगती है उल्टी करने का मन होता है |  रोजाना मल का त्याग करने पर कब्ज रोग की समस्या बढ़ जाती है जिसके के कारण पेट में सूजन और दर्द होता है |  कब्ज के कारण -  फल, सब्जियों और साबु

Joint Pain Causes Symptoms And Treatment

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संधिगत वात /  जोड़ों का दर्द, कारण, लक्षण और उपचार -  Get Ayurvedic Treatement in JPS AYURVEDIC PHARMACY and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit JPS AYURVEDIC CLINIC TODAY! परिचय - आज के समय में संधिगत वात या  जोड़ों का दर्द एक आम समस्या बनता जा रहा है | वातादि दोष रस रक्त आदि धातुओं को दूषित करते हुए जब संधियों में स्थित दोषों को दूषित कर देते है तब संधिगत नामक रोग की उत्पत्ति हो जाती है | जिसके कारण शरीर के किसी अंग या भाग में संधिशूल या जोड़ों का दर्द होने लगता है जोड़ों में दर्द, सूजन और कालापन पाया जाता है | जोड़ों में जकड़न और कपंन होती है, जोड़ों में रुक्षता होने से घुटने अकड़ जाते है जो दर्द का मुख्य कारण माना गया है | इस रोग को Joint Pain के नाम से जाना जाता है | पुरषों के मुकाबले स्त्रियों में इस रोग की प्रधानता रहती है|   जोड़ों के दर्द का कारण - वातवर्धक आहार खाने से अत्याधिक व्ययाम करने से  घुटने पर अधिक और बार बार दबाव डालने से सूजन होने पर  वातवर्धक कर्म करने से |  जोड़ों के दर्द के लक्षण -  शरीर के अंगों में और जोड़ों

Hyper Acidity Causes Symptoms and Ayurvedic Remedies

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अम्लपित्त, कारण , लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार   Get Ayurvedic Treatement in JPS AYURVEDIC PHARMACY and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit JPS AYURVEDIC CLINIC TODAY! अम्लपित्त - यह एक पित्त विकार मन गया है शरीर में पित्त की अधिकत्ता होने के कारण इसकी उत्पत्ति होती है | अम्ल पित्त कोAcidity / Hyper-acidity के नाम से भी जाना जाता है | पित्त के कुपित होने के कारण मुँह का स्वाद खट्टा हो जाता है खट्टी डकारें आती है मुख से दुर्गन्ध आने लगती है पेट ख़राब रहता है |  अम्लपित्त के कारण - आयुर्वेद में अम्ल पित्त होने के बहुत से कारण माने गए है | सबसे प्रमुख कारण पित्त दोष का दूषित होना माना गया है पित्त दोष को दूषित करने के अनेक कारण माने गए है जो कि इस प्रकार है - भारी भोजन करने से  ज्यादा मांसाहारी भोजन खाने से  खट्टा दही और खट्टे फलों का सेवन करने से  तले और चटपटे गर्म भोजन को खाने से  तीखा भोजन खाने से  अनिद्रा, क्रोध और चिंता करने से मल मूत्र का त्याग न करने से  सरसों और तिल के तैल के अधिक प्रयोग से  नमक का अधिक प्रयोग करने से  खट्टी चटन

Jaundice Disease Cause and Treatment in Ayurvedic -पीलिया का आयुर्वेदिक इलाज!

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पाण्डु /  पीलिया  रोग कारण और उपचार : पीलिया या पाण्डु रोग - आयुर्वेद चिकित्सा में इसे पाण्डु रोग के नाम से जाना जाता है | समान्यता यह पीलिया नाम से प्रचलित है | इस रोग में रक्त अथवा खून की कमी हो जाती है जिसके कारण शरीर में पीलापन आने लगता है आंखे और नाख़ून पीले  सफेद होने  लगते है | रोगी रक्तहीन मुर्झाया हुआ दिखता है | इसे ही पाण्डु रोग कहते है | इसके पांच भेद माने गए है | जो वातज पाण्डु , कफज पाण्डु , पित्तज पाण्डु , त्रिदोषज पाण्डु मृतिका भक्षण पाण्डु आदि होते है | इनके लक्षणों के आधार पर इनकी चिकित्सा की जाती है |  पीलिया  रोग के कारण - अम्ल द्रव्यों का सेवन करने से |  शराब का अधिक सेवन करने से |  अधिक मिट्टी खाने से |   दिन में सोने से |  तीखें पदार्थों का सेवन करने से |  विरुद्ध आहार करने से |  बासी भोजन खाने से  पाण्डु रोगी के साथ खाना खाने से |  पीलिया  रोग के लक्षण - नेत्र, त्वचा, मुख, नाख़ून का पीला होना | मल - मूत्र का रक्त मिश्रित और पीला रंग का होना |  भूख ना लगना , थकावट होना आदि |   पीलिया  रोग की चिकित्सा - पाण्ड

गुर्दे की पथरी, कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार- Kidney stones causes symptoms and Ayurvedic treatment-

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गुर्दे की पथरी के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार -   गुर्दे की पथरी  - आज के समय में गुर्दे की पथरी एक आम बीमारी हो गई है जो अकसर गलत-खानपान के कारण भी हो जाती है | विटामिन-डी के अधिक सेवन, शरीर में खनिजों की मात्रा में असंतुलन, पानी की कमी के कारण या फिर असंतुलित भोजन  से भी किडनी में स्टोन होता है | मूत्र में कई प्रकार के waste chemicals घुले होते है ये रसायन कभी-कभी मूत्र में बारीक़ कण बना लेते है जो आपस में मिलकर छोटे कंकर की रचना के समान दिखने लगते है | SEE Here Feedback From Our Kidney Stone Patient : पथरी होने पर काफी असहनीय दर्द होता है। पेशाब करने में भी काफी दर्द होता है। गुर्दे की पथरी में कैल्शियम की पथरी सबसे ज्यादा पायी जाती है |लगभग 90 प्रतिशत पथरी का निर्माण का कारण कैल्शियम और ओक्जेलेट एसिड होता है।कैल्शियम की पथरी मुलायम होती है ऑक्सलेट की खुरदुरी होती है इसके कारण कई बार मूत्र के साथ रक्त भी आता है |गुर्दे में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है। आमतौर पर ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ के मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकल जाती हैं। हालांकि, यदि ये आक