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Best Diet Plan for Asthma Patients

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कैसा होना चाहिए अस्थमा रोगी का आहार -  Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! दमा या अस्थमा एक संक्रामक रोग है | वर्तमान समय में बहुत सारे लोग इस रोग से पीड़ित है | आमतौर पर यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी होता है परन्तु कई बार यह मौसम के बदलने और दूषित वातावरण में रहने से या खांसी जुकाम से लंबे समय तक पीड़ित रहने से हो जाता है | संतुलित और पौष्टिक आहार तथा चिकित्सा के द्वारा अस्थमा रोग को कम किया जा सकता है |अस्थमा का पूरी तरह से इलाज करने के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है, लेकिन संतुलित आहार अस्थमा के हमलों के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है।  अस्थमा रोगी को खाना चाहिए या क्या नहीं खाना चाहिए इसके लिए Diet Chart इस प्रकार है - Best Diet For Asthma Patients   नाश्ते में रोगी को फल खाने को देने चाहिए क्यूंकि फल एंटी ऑक्सीडेंट होते है जो अस्थमा के रोगी के लिए लाभदायक है |  बकरी का दूध पीना रोगी लिए उत्तम होता है |  रोगी को kiwi फल, संतरा अंगूर आदि खाने को

Ayurveda is the Best for Asthma Totake

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अस्थमा के लिए आयुर्वेद में है सबसे अच्छा इलाज / जानें अस्थमा के लिए टोटके -   Get Ayurvedic Treatement in  JPS AYURVEDIC PHARMACY  and Get FREE Online Consultation with Best Ayurvedic Doctors. Visit  JPS AYURVEDIC CLINIC  TODAY! अस्थमा - यह एक प्रकार का सांस से संबंधित रोग माना गया है जिसमे रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है रोगी को साँस लेते हुए हवा को अंदर खींचने और बाहर निकालने में दिक्क्त होती है और उसका साँस रुकने लगता है | अस्थमा फेफड़ों में इन्फेक्शन होने के कारण होता है जो धीरे धीरे बढ़ता रहता है | इसके इलावा धूल मिटटी वाले वातावरण में रहने से एलर्जी होने पर भी अस्थमा होने की संभावना रहती है | आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में इसका उपचार कई तरह के एंटीबायोटिक और इनहेलर आदि से किया जाता है अस्थमा का पूर्ण रूप से उपचार एलोपैथी में संभव नहीं है | परन्तु आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस रोग का उपचार हो सकता है इसके लिए चिकित्सक की सलाह से ,अपने खान पान और साफ सफाई तथा अपनी दिनचर्या को ध्यान में रखकर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है |  अस्थमा के टोटके -  सुहागे की

अस्थमा

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अस्थमा – Asthma अस्थमा  ( दमे ) का दौरा पड़ने पर श्वास नली प्रभावित होती है और सांस लेने में कठिनाई होती है | दौरे पड़ने से श्वास नली में तनाव हो जाता है | श्वास नली की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और नली तंग हो जाती है | इस कारण वायु फेफड़ों से निकलने या उसमें प्रवेश के समय कष्ट होता है | उसमें श्लेष्मा पैदा हो जाने से श्वास लेने में और अधिक कठिनाई होती है | अस्थमा रोग के कारण दमे का पहला आक्रमण फेफड़ों में संक्रमण से होता है | कीटाणुओं, खाद्य वस्तुओं तथा घर में किसी कारण से एलर्जी के कारण भी दमा हो जाता है | भावनात्मक कारणों से तथा मौसम के बदलने पर भी दमा हो जाता है | अस्थमा के लक्षण दमा के लक्षणों में श्वास नली से सीटी की-सी आवाज और कई बार खांसी भी आती है | नाड़ी की स्पन्दन गति बढ़ जाती है | सांस लेने में कठिनाई होने के कारण दौरे के समय रोगी को बोलने में भी कठिनाई होती है | अस्थमा का आयुर्वेदिक उपचार / अस्थमा के टोटके / उपाय   दमे के रोगी प्रायः दौरा पड़ने पर Inhaler का प्रयोग करते हैं अथवा ऐसी दवाइयों का सेवन करते हैं जिनसे श्वास नली खुल जाए और सांस लेने