कामकाजी महिलाओं के जीवनशैली रोग-Lifestyle diseases of working women

Lifestyle Diseases of Working Women- JPS AYURVEDIC PHARMACY

कामकाजी महिलाओं की जीवनशैली से होने वाले रोग

कामकाजी महिलाओं का लगभग एक तिहाई हिस्सा लाइफ स्टाइल डिसीज की चपेट में है। एक सर्वे के अनुसार 20 से 40 वर्ष तक की महिलाओं में लाइफ स्टाइल डिसीज का खतरा सबसे ज्यादा होता है। समय रहते इन पर ध्यान नहीं देने से यह गंभीर परेशानी खड़ी कर सकती हैं।
लगातार बदलती और भागदौड़ भरी जीवनशैली का आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खास तौर से कामकाजी महिलाओं के लिए यह दिनचर्या कई तरह की समस्याओं को जन्म देती है, जिनके प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है।

जानिए कौन से हैं, वे लाइफ स्टाइल डिसीज -


1 डिप्रेशन -  कामकाजी महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण घर और कार्यस्थल पर काम का दबाव अधि‍क होना है। इसके अलावा दोनों ओर की अपनी चिंता और निजी जीवन की कई चीजें मिलकर महिलाओं को अत्यधि‍क तनाव देने का काम करती हैं। ऐसे में कई बार नींद भी बुरी तरह से प्रभावित होती है, और अगर धूम्रपान की आदत हो, तो यह समस्या और बढ़ सकती है।
इसके लिए जरूरी है, कि आप अपनी नींद पूरी करें, और भरपूर नींद लें। इसके अलावा किसी भी काम को तनाव लेकर न करें, इससे आपको काम में बेहतर परिणाम भी नहीं प्राप्त नहीं होते। अत्यधि‍क जिम्मेदारियां लेने के बजाए, जितना काम है, उसे शांत दिमाग से करें और जल्दबाजी बिल्कुल न करें। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन एक अच्छा उपाय है, इसे अपनाएं और धूम्रपान या शराब का सेवन करने से बचें। 

2 मोटापा - अक्सर होता यह है कि कामकाजी महिलाएं अपनी डाइट पर ठीक से ध्यान नहीं देती, और भोजन भी समय पर नहीं करती। इसके अलावा अत्यधिक काम की वजह से भोजन करने के बजाए, भूख मिटाने के लिए जंक फूड का प्रयोग करती हैं, जिसमें पोषक तत्वों की पूर्ति नहीं हो पाती, और सेहत को उल्टा नुकसान ही होता है। ऑफि‍स में भी बहुत ज्यादा चलना फिरना नहीं हो पाता। ऐसे में मोटापा बहुत आसानी से अपनी जगह बना लेता है।
इसके लिए आपको बाहर के खाने से परहेज करना होगा। अपने डाइट का समय और मात्रा निर्धारित करें और फैटी फूड लेने की जगह पोषक तत्वों से भरपूर चीजों का सेवन करें। एक्सरसाईज को अनिवार्य तौर पर अपनी दिनचर्या में शामिल करें और मोटापे से बचने के लिए हर 4 से 6 महीने में थाइरॉइड की जांच जरूर करवाएं।

3 ब्लड प्रेशर - कार्यस्थल पर ज्यादा शारीरिक श्रम नहीं हो पाता और मोटापा बढ़ता है। इसके अलावा शरीर और रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अधि‍क हो जाने के कारण ब्लडप्रेशर की समस्या जन्म लेती है। ऐसे में धूम्रपान या अल्कोहल इस समस्या को और अधि‍क बढ़ाने में मदद करता है।
इसके लिए अपने आहार पर विशेष ध्यान दें। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रि‍त रखने के लिए तली-भुनी चीजों या फास्ट फूड से दूरी बनाएं। इसके अलावा खाने में नमक की अत्यधिक मात्रा लेने से परहेज करें। प्रतिदिन एक्सरसाईज जरूर करें और तनाव को दूर करने का प्रयास करें। धूम्रपान या अल्कोहल से दूरी बनाए रखें।

4 डाइबिटीज - वजन बढ़ने और भोजन में प्रोटीन व फाइबर की कमी व रिफाइंड के साथ फैटी फूड की अधि‍कता से शरीर में ग्लूकोज का स्तर भी बढ़ता है, जिससे डाइबिटीज की समस्या सामने आती है। अल्कोहल का प्रयोग करने पर यह समस्या बढ़ जाती है।
इससे बचने के लिए आपको अपने शुगर के स्तर पर नजर रखना जरूरी है। नियमित रूप से जांच कराएं और अपने वजन को नियंत्रित रखने का प्रयास करें। इसके अलावा खाने में प्रोटीन व फाइबर से भरपूर डाइट लें और फैटी फूड के सेवन से बचें। इससे बचने के लिए आपको अल्कोहल के प्रयोग से भी बचना होगा।

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