Ayurveda is the Best for Asthma Totake
अस्थमा के लिए आयुर्वेद में है सबसे अच्छा इलाज / जानें अस्थमा के लिए टोटके -
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अस्थमा - यह एक प्रकार का सांस से संबंधित रोग माना गया है जिसमे रोगी को सांस लेने में तकलीफ होती है रोगी को साँस लेते हुए हवा को अंदर खींचने और बाहर निकालने में दिक्क्त होती है और उसका साँस रुकने लगता है | अस्थमा फेफड़ों में इन्फेक्शन होने के कारण होता है जो धीरे धीरे बढ़ता रहता है | इसके इलावा धूल मिटटी वाले वातावरण में रहने से एलर्जी होने पर भी अस्थमा होने की संभावना रहती है | आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में इसका उपचार कई तरह के एंटीबायोटिक और इनहेलर आदि से किया जाता है अस्थमा का पूर्ण रूप से उपचार एलोपैथी में संभव नहीं है | परन्तु आयुर्वेदिक चिकित्सा में इस रोग का उपचार हो सकता है इसके लिए चिकित्सक की सलाह से ,अपने खान पान और साफ सफाई तथा अपनी दिनचर्या को ध्यान में रखकर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है |
- सुहागे की खील बनाकर चूर्ण तैयार कर लें | इसमें मुलहठी का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर आधा से एक ग्राम की मात्रा शहद के साथ चाटकर या गर्म पानी के साथ तीन चार हफ्ते खाते रहने से दमा, खांसी, साँस का फूलना आदि रोगों का नाश होता है |
- अंजीर अस्थमा के रोगियों के लिए लाभदायक है | रात को दो से चार अंजीर को धोकर साफ़ बर्तन में गर्म पानी डालकर भिगोकर रखें | सुबह भोजन करने से पहले इनको अच्छी तरह से चबा कर खाएं | क्यूंकि यह फेफड़ों में जमे हुए बलग़म को बाहर निकालता है |
- हरड़, बहेड़ा और आंवला, विधार, असगन्ध, काली मिर्च, सौंठ, वायविडंग, पुनर्नवा, चित्रक की जड़ की छाल और सत गिलीये बराबर मात्रा में लेकर कूट-छानकर पांच-छह ग्राम की गोलियां बना लें | छाया में सुखाकर एक गोली प्रातः दूध से लेने से दमे में लाभ होता है
- दमे के कारण कमजोर रोगियों के लिए चौलाई का साग चौलाई का रस अमृत के समान होता है चौलाई का किसी भी रूप में प्रयोग करने से अस्थमा में आराम मिलता है |
- दमे के रोगी को लहसुन की तीन-चार तुरियां दूध में उबालकर रात को सोने से पूर्व सेवन करने से अत्यन्त लाभ होता है
- लहसुन की एक गांठ छीलकर 120 मि.ली. असली सिरके में अच्छी तरह मसल और मथकर उबालें | ठण्डा होने पर उसे छानें और उसमें बराबर की मात्रा में शहद मिलाकर मेथी के काढ़े के साथ दो दो चमकपीने से अस्थमा / दमा रोग में राहत मिलती है |
- सौंफ में बलगम साफ करने के गुण हैं | यदि दमे के रोगी नियमित रूप से इसका काढ़ा इस्तेमाल करते रहें तो रोगी को साँस लेने में तकलीफ नहीं होती |
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