गुर्दे की पथरी, कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार- Kidney stones causes symptoms and Ayurvedic treatment-
गुर्दे की पथरी के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार-
गुर्दे की पथरी - आज के समय में गुर्दे की पथरी एक आम बीमारी हो गई है जो अकसर गलत-खानपान के कारण भी हो जाती है | विटामिन-डी के अधिक सेवन, शरीर में खनिजों की मात्रा में असंतुलन, पानी की कमी के कारण या फिर असंतुलित भोजन से भी किडनी में स्टोन होता है | मूत्र में कई प्रकार के waste chemicals घुले होते है ये रसायन कभी-कभी मूत्र में बारीक़ कण बना लेते है जो आपस में मिलकर छोटे कंकर की रचना के समान दिखने लगते है |
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पथरी होने पर काफी असहनीय दर्द होता है। पेशाब करने में भी काफी दर्द होता है। गुर्दे की पथरी में कैल्शियम की पथरी सबसे ज्यादा पायी जाती है |लगभग 90 प्रतिशत पथरी का निर्माण का कारण कैल्शियम और ओक्जेलेट एसिड होता है।कैल्शियम की पथरी मुलायम होती है ऑक्सलेट की खुरदुरी होती है इसके कारण कई बार मूत्र के साथ रक्त भी आता है |गुर्दे में एक समय में एक या अधिक पथरी हो सकती है।
आमतौर पर ये पथरियाँ बिना किसी तकलीफ के मूत्रमार्ग से शरीर से बाहर निकल जाती हैं। हालांकि, यदि ये आकार में बड़ी हो जाएं, 2 से 3 mm, की तो ये मूत्रवाहिनी में अवरोध उत्पन्न कर सकती हैं। इस स्थिति में मूत्रांगो के आस-पास असहनीय पीड़ा होती है। गुर्दे की पथरी का दर्द आमतौर पर काफी तेज होता है। पथरी जब अपने स्थान से नीचे की तरफ़ खिसकती है तो गुर्दे से खिसक कर मूत्रनली और फिर मूत्राशय में आती है तब यह दर्द पैदा होता है। महिलाओं के मुकाबले पुरषों में kidney stones की समस्या ज्यादा पायी जाती है |
गुर्दे की पथरी के लक्षण - गुर्दे की पथरी में ज्यादातर रोगी पीठ से पेट की तरफ आते भयंकर दर्द की शिकायत करते हैं | दर्द के साथ उल्टी होने के लक्षण मिलते है | पीठ के निचले हिस्से में या पेट के नीचे के भाग में अचानक तेज दर्द, जो मूत्रनली से लेकर जांघ और पैरों तक बढ़ सकता है, यह दर्द कुछ मिनटों या घंटो तक बना रहता है | यह दर्द रह-रह कर उठता है | इसमें बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, पेशाब आने के साथ-साथ दर्द होना, रुक-रुक कर पेशाब आना, मूत्र में रक्त आना आदि लक्षण हो सकते है। अंडकोशों में दर्द, पेशाब का रंग असामान्य होना भी संक्रमण के लक्षण हो सकते है |
गुर्दे की पथरी के कारण - हर दिन पानी की पर्याप्त मात्रा का सेवन न करना | कैफीन और शराब का अधिक उपयोग करना, मूत्र मार्ग में संक्रमण होना | गुर्दे की पथरी का निर्माण मूत्र में उपस्थित लवणों व खनिजों के जमाव से होता है जब इनकी परतें जमा हो जाती हैं तो कंकरो के रूप में इनका का आकार बढ़ता जाता है। ये सभी लवण और खनिज खाने की चीजों व पानी से शरीर में पाये जाते है। जैसे - पालक,अरबी के पत्ते और टमाटर आदि से भोजन में पशुजन्य प्रोटीन, सोडियम, अंगूर और सेब का रस, विटामिन डी, कैल्शियम की अधिक मात्रा आदि इसके मुख्य कारण माने गये है |
आयुर्वेदिक उपचार - गुर्दे की पथरी का उपचार पथरी के आकार, स्थान के आधार पर अलग अलग होता है जब पथरी गुर्दे में होती है तो वेदनारहित होती है यदि पथरी आकार में बड़ी हो तो औषधि देकर छोटे छोटे पीस करके आसानी से बाहर निकालते है | जब पथरी मूत्रनली में चली जाती है तो अधिक दर्द करती है | पथरी की जगह और आकार का पता लगने के बाद दर्द और पथरीनाशक औषिधि उपचार से पथरी को निकला जा सकता है | 1cm. तक के आकार की पथरी को आयुर्वेदिक दवाओं के प्रयोग से बिना किसी सर्जरी के गुर्दे से बाहर निकाला जा सकता है |
घरेलू उपचार -
आंवले का चूर्ण मूली के साथ खाने से पथरी धीरे धीरे गल कर निकल जाती है।
कुल्थी दाल का पानी पीना सबसे अच्छा माना गया है। पथरी को गलाने में कुल्थी दाल काफी असरदार होती है |
नारियल पानी पथरी को गलाता है पथरी होने पर नारियल पानी सुबह पीना चाहिए।
मिश्री, सौंफ, धनिया को रात में पानी में भिगोकर रखें और सुबह पानी को छानकर पीने से पथरी धीरे धीरे गल कर बाहर निकल जाती है |
उचित बचाव और सावधानी ना रखने पर इसके दोबारा फिर से होने की संभावना रहती है छोटे आकार की पथरी 2 से 3 दिन में निकल जाती है पथरी के आकार के आधार पर ही चिकित्सा में अलग अलग़ समय लगता है दिन में दो लीटर पानी हर रोज़ पीकर पथ्य का पालन करके गुर्दे की पथरी से बचा जा सकता है |
उचित बचाव और सावधानी ना रखने पर इसके दोबारा फिर से होने की संभावना रहती है छोटे आकार की पथरी 2 से 3 दिन में निकल जाती है पथरी के आकार के आधार पर ही चिकित्सा में अलग अलग़ समय लगता है दिन में दो लीटर पानी हर रोज़ पीकर पथ्य का पालन करके गुर्दे की पथरी से बचा जा सकता है |
गुर्दे की पथरी की चिकित्सा की अधिक जानकारी और परमर्श के लिए आप आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क कर सकते है |
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