अस्थमा

जानें अस्थमा (Asthma) का आयुर्वेदिक इलाज!


अस्थमा – Asthma

अस्थमा ( दमे ) का दौरा पड़ने पर श्वास नली प्रभावित होती है और सांस लेने में कठिनाई होती है | दौरे पड़ने से श्वास नली में तनाव हो जाता है | श्वास नली की मांसपेशियां सिकुड़ जाती हैं और नली तंग हो जाती है | इस कारण वायु फेफड़ों से निकलने या उसमें प्रवेश के समय कष्ट होता है | उसमें श्लेष्मा पैदा हो जाने से श्वास लेने में और अधिक कठिनाई होती है |

अस्थमा रोग के कारण

दमे का पहला आक्रमण फेफड़ों में संक्रमण से होता है | कीटाणुओं, खाद्य वस्तुओं तथा घर में किसी कारण से एलर्जी के कारण भी दमा हो जाता है | भावनात्मक कारणों से तथा मौसम के बदलने पर भी दमा हो जाता है |

अस्थमा के लक्षण

दमा के लक्षणों में श्वास नली से सीटी की-सी आवाज और कई बार खांसी भी आती है | नाड़ी की स्पन्दन गति बढ़ जाती है | सांस लेने में कठिनाई होने के कारण दौरे के समय रोगी को बोलने में भी कठिनाई होती है |

अस्थमा का आयुर्वेदिक उपचार / अस्थमा के टोटके / उपाय  

दमे के रोगी प्रायः दौरा पड़ने पर Inhaler का प्रयोग करते हैं अथवा ऐसी दवाइयों का सेवन करते हैं जिनसे श्वास नली खुल जाए और सांस लेने में आसानी हो |
1. सुहागे की खील बनाकर चूर्ण तैयार कर लें | इसमें मुलहठी का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर आधा से एक ग्राम की मात्रा शहद के साथ चाटें | इससे श्वास नली के कष्ट दूर होकर दमा, खांसी और जुकाम में लाभ होता है | इस चूर्ण को गरम जल से भी ले सकते हैं | आयु के अनुसार मात्रा अधिक या कम कर सकते हैं | तीन-चार सप्ताह तक सेवन करते रहने से साधारण दमा ठीक हो जाता है |
2. दमा बच्चों को भी हो जाता है | तुलसी के कुछ पते अच्छी तरह धोकर पेस्ट-सा बना लें | इसे शहद में मिलाकर चटाने से बच्चों को बहुत लाभ होता है | रोगी बच्चे को दही, उड़द की दाल, गोभी, तेल-मिर्चों के खाद्य तथा अधिक मसालों का सेवन न कराएं | रोगी बच्चे को प्रतिदिन सुबह-शाम पार्क में घुमाने ले जाएं |
3. मानसिक रूप से भी बच्चे की रोग के प्रति चिन्तित न होने दें क्योंकि चिन्ता से शवास रोग अधिक तीव्र होता है |
4. अंजीर दमा के रोगियों के लिए लाभदायक है | इससे बलगम बाहर निकलने में आसानी होती है | दो-तीन अंजीर गरम पानी से धोकर रात्रि को साफ बर्तन में भिगो दें | प्रातःकाल नाश्ते से पूर्व उन अंजीरों को खूब चबाकर खाएं | उसके बाद वह पानी पी लें |
5. अंगूर दमे के रोगी के लिए बहुत लाभदायक हैं | अंगूर और अंगूर का रस दोनों का प्रयोग कर सकते हैं | कुछ चिकित्सकों का तो यहां तक कहना है कि दमे के रोगी को अंगूरों के बाग में रखा जाए तो शीघ्र लाभ होता है |
6. हरड़, बहेड़ा और आंवला, विधार, असगन्ध, काली मिर्च, सौंठ, वायविडंग, पुनर्नवा, चित्रक की जड़ की छाल और सतगिलीय बराबर मात्रा में लेकर कूट-छानकर पांच-छह ग्राम की गोलियां बना लें | छाया में सुखाकर एक गोली प्रातः दूध से लेने से दमे में लाभ होता है |
7. दमा, जुकाम, खांसी और ब्रोंकाइटिस के रोगी को सन्तरे के रस में थोड़ा नमक और शहद मिलाकर देने से लाभ होता है | बलगम आसानी से निकलने लगता है |
8. चौलाई के पत्तों का ताजा रस निकालकर शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से पुराने दमे में भी लाभ होता है | दमे के कारण कमजोर रोगियों के लिए चौलाई के साग का रस अमृत के समान है | चौलाई का किसी भी रूप में प्रयोग करते रहने से आदमी असमय बूढ़ा नहीं होता |
9. करेले की जड़ के एक चम्मच चूर्ण में शहद मिलाकर रात्रि के समय देने से दमे के रोगी की रात आराम से कटती है | लगभग एक माह तक देने से आशातीत लाभ होता है | करेले की जड़ के उक्त चूर्ण में तुलसी के पत्तों को मिलाकर देने से भी लाभ होता है |
10. सहजन के पत्तों का सूप 18 मि.ली. के लगभग तैयार कर उसमें थोड़ा नमक, काली मिर्च और नीबू का रस मिलाकर पीने से दमा, ब्रोंकाइटिस और क्षय और अन्य श्वास सम्बंधी रोग दूर होते हैं |
11. लहसुन के संबंध में पहले भी बताया जा चुका है | दमे के रोगी को लहसुन की तीन-चार तुरियां दूध में उबालकर रात को सोने से पूर्व सेवन करने से अत्यन्त लाभ होता है | लहसुन की एक गांठ छीलकर 120 मि.ली. असली सिरके में (सिन्थेटिक सिरके में नहीं) अच्छी तरह मसल और मथकर उबालें | ठण्डा होने पर उसे छानें और उसमें बराबर की मात्रा में शहद मिलाकर साफ बोतल में भरकर रखें | मेथी के काढ़े के साथ सायंकाल और सोने से पूर्व एक या दो चम्मच उक्त शरबत लेने से दमे की तीव्रता कम होती है |
12. एक चम्मच अदरक के रस की मेथी के एक कप काढ़े में शहद मिलाकर खाने से दमे में लाभ होता है |
13. पुदीने के एक चम्मच रस में दो चम्मच असली सिरका समान मात्रा में शहद और चार औंस गाजर का रस मिलाकर प्रतिदिन देने से दमा और ब्रोंकाइटिस में लाभ होता है | इसके प्रयोग से दमे के दौरे कम हो जाते हैं और श्वास नली की रुकावट दूर होती है |
14. पालक के पत्तों और दो चम्मच मेथीदाना का काढ़ा बना लें | इसमें चुटकी भर अमोनियम क्लोराइड और शहद मिलाकर 30 मि.ली. की मात्रा दिन में तीन बार देते रहने से लाभ होता है |
15. सूर्यमुखी के बीज दमा के रोगी के लिए बहुत लाभदायक हैं | सूर्यमुखी के बीजों के एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद मिलाकर दिन में एक या दो बार देना चाहिए | सूर्यमुखी के फूलों के काढ़े में शहद मिलाकर सेवन करने से भी दमे में लाभ होता है तथा श्वास नली के कष्ट दूर होते हैं | शहद अपने आप में बहुत उपयोगी औषधि है | इससे स्वरयंत्र के कष्ट दूर होने में सहायता मिलती है |
16. सौंफ में बलगम साफ करने के गुण हैं | यदि दमे के रोगी नियमित रूप से इसका काढ़ा इस्तेमाल करते रहें तो निश्चित रूप से लाभ होगा |
17. बाजरे के दाने जितनी हींग दो चम्मच शहद में मिला लें | प्याज के आधा चम्मच रस में पान का एक चम्मच रस मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से दमे के रोगी को लाभ होता है |
18. मकोय और अजवाइन का प्रयोग दमे में लाभ पहुंचाता है |
19. चार-छः लौंग एक कप पानी में उबालकर और शहद मिलाकर दिन में तीन बार थोड़ा-थोड़ा पीने से दमा ठीक होता है | इससे श्वास नली रुकावट दूर होती है |
20. दमे के रोगी के लिए विटामिन-E लाभदायक है | यह अंकुरित गेहूं, सोयाबीन, पिस्ता, सूरजमुखी का तेल, नारियल, घी, मक्खन, टमाटर, अंगूर और सूखे मेवों से प्राप्त होता है | इनका प्रयोग करने से विटामिन-E की आपूर्ति होती रहती है |

परामर्श - सलाह

1. दमे के रोगियों को जहां तक हो सके पेट साफ रखना चाहिए |
2. अधिक ठण्ड से अपना बचाव करना चाहिए, विशेष रूप से मौसम परिवर्तन के समय |
3. पानी हल्का गरम पीना चाहिए | पानी उबालकर और थोड़ा हल्का गरम पीना ही उत्तम है |
4. दमे के रोगियों को दूध, पालक, चौलाई, सोयाबीन, सूखे मेवे, आंवले, गाजर, पनीर और तिल नियमित रूप से खाते रहने चाहिए |
5. नीबू का रस गरम जल में पीते रहना चाहिए | केला कम खाना चाहिए | करेले का सब्जी और रस के रूप में प्रयोग दमे में लाभकारी है |
6. लहसुन, प्याज का रस, पोदीने का रस, छोटी इलायची, हल्दी दूध के साथ लेते रहने से दमे के रोगी की लाभ होता है | दमे के दौरों के समय हाथ-पैर गरम पानी में डुबोकर रखने से आराम मिलता है |  


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