Ayurvedic Treatment Is The Best For Typhoid Debility

Ayurvedic Treatment for Weakness After Typhoid
Ayurvedic Treatment for Weakness After Typhoid - टाइफाइड कमजोरी का आयुर्वेदिक इलाज!
टाइफाइड कमजोरी का आयुर्वेदिक इलाज

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टाइफाइड कमजोरी  - टाइफाइड फीवर  का मुख्य कारण Salmonella Typhi नामक जीवाणु / बैक्टीरिया है  जो दूषित पदार्थों को खाने से मुँह के रास्ते आँतों ( Intestines ) में जाकर विष का निर्माण करता है | यह जीवाणु अंतड़ियों जाकर सूजन और जख्म कर देता है |
टाइफाइड बुखार 3 से 4 हफ़्तों तक बना रहता है जिसके कारण रोगी को शरीर में कमजोरी  पैदा हो जाती है | क्यूंकि बिमारी कोई भी क्यों ना हो वह शरीर को अंदर ही अंदर खोखला करती रहती है जिससे रोगी कमजोर हो जाता है |
टाइफाइड बुखार लिवर और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है जिससे रोगी को खाया हुआ भोजन नहीं पचता और भूख कम लगती है हाथों पैरों में दर्द रहता है | खून की कमी होने से रोगी खुद को बेजान महसूस करता है | टाइफाइड के कारण होने वाली कमजोरी में सिर के बाल झड़ने लगते है आँखों की रौशनी कम हो जाती है | सिर दर्द होता रहता है , Blood pressure कम रहता है | पानी की कमी हो जाती है जिसके कारण रोगी को घबराहट होती रहती है | 
इसके इलावा टाइफाइड बुखार के इलाज में खायी जाने वाली दवाइयां भी शरीर में कमजोरी पैदा करती है जैसे एलोपैथिक दवाइयां यह खून में से पानी को सोखती है जिससे रोगी को जलन, घबराहट, एसिडिटी आदि हो जाती है परन्तु टाइफाइड बुखार में यदि आयुर्वेदिक औषधियां चिकित्सक की सलाह से ली जाती है तो इनको खाने से रोगी को लाभ ही मिलता है कोई नुकसान नहीं होता | 
रोगी के शरीर में बिमारी से लड़ने की शक्ति बढ़ती है | रोगी का टाइफाइड बुखार तो ठीक होता ही है साथ -साथ शरीर को ताकत भी मिलती है | टाइफाइड फीवर को पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए और शरीर में किसी तरह की कमजोरी ना हो उसके लिए आयुर्वेदिक औषिधियों के साथ साथ संतुलित और पौष्टिक आहार रोगी को देना बहुत जरुरी है | 
इसके लिए साफ़ और ताजे फल - सब्जियों का जूस तथा सूप देना चाहिए | आहार में सादा कम नमक वाला और बिना तेल वाला भोजन करना, उबला हुआ पानी पीना उत्तम माना गया है | उचित आहार विहार और साफ़ सफाई रखने से टाइफाइड बुखार दोबारा से होने की संभावना कम रहती है | 


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