टाइफाइड बुखार- आंत्रज्वर-Typhoid fever symptoms and ayurvedic treatment
टाइफाइड बुखार- लक्षण और उपचार -
टाइफाइड बुखार - इसको आंत्रिक ज्वर, आंतों का बुखार, आंत्रज्वर, मियादी बुखार और अंतड़ियों का बुखार आदि नामों से जाना जाता है | आधुनिक विज्ञान में इसे TYPHOID FEVER, OR ENTERIC FEVER के नाम से जाना जाता है | इस रोग का प्रमुख कारण Salmonella Typhi नामक बैक्टीरिया है जो प्राणी के शरीर में भोजन के साथ आँतों में चला जाता है | इसके लक्षण 10 से 15 दिनों में दिखने लगते है | अगर इसका सही समय पर उपचार ना किया जाये तो आँतों में से खून के रिसाव का खतरा बढ़ जाता है और निमोनिया तथा दिमाग़ी बुखार होने की संभावना अधिक रहती है | बारिश के मौसम में यह रोग होने की आशंका अधिक होती है |
टाइफाइड होने के कारण -
गंदा पानी पीने से |
ख़राब भोजन खाने से |
बैक्टीरिया युक्त दूषित चीजें खाने से |
दूषित पानी में नहाने और खाना पकाने से |
पीड़ित रोगी के संपर्क में रहने तथा उसका जूठा खाने से यह रोग फैलता है|
टाइफाइड होने के लक्षण -
रोगी को 103-104 डिग्री बुखार हर रोज़ रहता है |
ठंड लगती है और बदनदर्द होता है |
सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द होता है |
भूख कम लगती है उलटी और दस्त होने लगते है और पानी की कमी से कमज़ोरी महसूस होती है कभी कब्ज की समस्या हो जाती है |
चक्कर आते है | नींद नहीं आती और बल का नाश होता है |
टाइफाइड की सामान्य चिकित्सा -
आंत्रिक बुखार से बचने के लिए उचित खानपान की व्यस्था करनी चाहिए |
शरीर की रोज सफ़ाई करनी चाहिए और रोगी को कम से कम एक सप्ताह तक उपवास करवाना चाहिए
प्यास लगने पर औषधि युक्त जल का सेवन करना चाहिए
अतिसार होने पर सौंफ का अर्क पीने को देते है |
पानी उबालकर ठंडा करके पीना चाहिए
रोगी को पूरा आराम करना चाहिए जब तक बुखार ठीक नहीं हो जाता |
मुसम्मी रस और मूंग दाल रोगी थोड़ी थोड़ी मात्रा में खाने देते रहना चाहिए
रोगी को दालचीनी के काढ़े में काली मिर्च का चूर्ण और शहद मिलाकर पीने को देना चाहिए | इससे रोगी बहुत अधिक लाभ मिलता है |
टाइफाइड बुखार की चिकित्सा की अधिक जानकारी और परमर्श के लिए आप आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क कर सकते है |
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