Best Treatment In Ayurveda For Urticaria / Hives
क्या आप भी हैं शीतपित्त से परेशान ! आयुर्वेद से करें समाधान -
शीतपित्त, कारण, लक्षण और उपचार -
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शीतपित्त - यह एक प्रकार का चर्मरोग ( skin / चमड़ी ) होता है जिसे शीतपित्त या छपाकी के नाम से जाना जाता है | जिसमें रोगी के शरीर पर गहरे लाल और गुलाबी रंग के चकत्ते ( Rash ) और छोटे छोटे दाने निकलते है | इनमें लगातार खुजली होती रहती है और बार बार हाथ लगाने पर यह रोग बढ़ता जाता है | यह रोग हिस्टामिन नामक जहर के प्रभाव में आने से, कभी गर्मी से ठंडी हवा में आने से ,दूषित वातावरण में रहने से अधिक होता है | हर साल 10 मिलियन से अधिक भारतीय इस रोग से पीड़ित होते है आयुर्वेद में शीतपित्त का उपचार संभव है |
शीतपित्त होने के कारण - शीतपित्त रोग पाचन तंत्र की कमज़ोरी या पेट की खराबी, रक्त ( खून ) में गर्मी पैदा होने के कारण अधिक होता है | कब्ज़ रहने से, एलर्जी होने से, तेल और मिर्च मसाले, खट्टी चीजें और बाजार में बिकने वाले खाद्य पदार्थों को खाने से, जहरीले कीड़े के काटने पर आसानी से हो जाता है |
शीतपित्त के लक्षण - रोगी के शरीर में पित्त के बढ़ने से हाथों-पैरों, गर्दन, मुँह और पीठ आदि भागों पर लाल या गुलाबी रंग के चकत्ते ( Rash ) दिखाई देते है | इन चकत्तों में सुई चुबने जैसी वेदना, सूजन और खुजली होती रहती है जो खारिश करने से बढ़ती जाती है | कभी कभी रोगी को बुखार भी हो जाता है | शीतपित्त रोग का उपचार अगर जल्दी न किया जाये तो यह सारे शरीर में फैल जाता है |
शीतपित्त का आयुर्वेदिक उपचार - पुराने और तीव्र शीतपित्त का उपचार आयुर्वेदिक औषिधियों से किया जा सकता है चर्मरोग को जड़ से खत्म करने के लिए चिकित्सा में अधिक समय लगता है |
- शीतपित्त रोगी की चिकित्सा करने से पहले उसको विरेचन कर्म कराना चाहिए ताकि उसके पेट को साफ़ किया जा सके इसके लिए रोगी को दूध के साथ एरंड का तैल पीने को देना चाहिए | इससे रोगी के पेट की सफाई हो जाती है |
- रोगी को 5 से 10 ग्राम हरिद्राखण्ड दूध के साथ सुबह और शाम सेवन करवाने से शीतपित्त रोग से मुक्ति मिलती है |
- चकत्तों में खुजली और जलन होने पर मारिचादि तेल या नारियल तेल में कर्पूर मिलाकर लगाने से खुजली शांत होती है |
- रोगी को खाने के लिए आरोग्यवर्धनी वटी या शीतपित्तअम्लपित्तहरयोग सुबह शाम पानी के साथ दें |
- पित्त को खत्म करने के लिए प्रवाल पिष्टी को शहद के साथ सेवन कराएं |
- भोजन के बाद दिन में दो बार महामंजिष्ठाअरिष्ट पीने के लिए दें |
- सोने से पहले त्रिफलाचूर्ण या त्रिफला गुग्गुलु का प्रयोग शीतपित्त रोग में लाभकारी होता है |
परामर्श और परहेज -
- रोगी को रोजाना हल्के गर्म पानी से नहाना चाहिए, नहाने के पानी में नीम के पत्ते या नीम पत्तों का रस डालना फायदेमंद रहता है | अगर नीम के पत्ते न हो तो फिटकरी को पानी में डालकर नहा लेना चाहिए |
- गुलाब जल में सिरका मिलाकर लाल चकत्तों पर लगाने से एलर्जी कम होती है |
- रोगी को हल्का आहार पुराने चावल और मुंग दाल खाने को दें और सलाद में प्याज अधिक खाना लाभकारी है |
- हल्दी, गिलोय, नीम इन सबका काढ़ा बनाकर पिलाना भी शीतपित्त को शांत करता है |
- रोगी को ताजे फल , केला, सेब और बेल का मुरब्बा खाने को देना चाहिए |क्यूंकि यह पित्त दोष को शांत करते है |
- रोजाना हल्का गर्म पानी पीना चाहिए और ठन्डे पानी का सेवन ना करे
- ड्राई फ्रूट्स ( मेवे ) गर्म मसाले आदि का सेवन ना करे
- नमक का प्रयोग बहुत कम करें
- शराब और सिगरेट का प्रयोग न करें
- पित्त को बढ़ाने वाली चीजों जैसे लहसुन,अदरक, काली मिर्च और मांस मछली, मीट का सेवन अहितकर होता है |
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