कैसे करें आयुर्वेद से जोड़ों के दर्द का अचूक इलाज?

कैसे करें आयुर्वेद से जोड़ों के दर्द का अचूक इलाज? 

संधिगत वात / जोड़ों का दर्द, कारण, लक्षण और उपचार - 

क्या होता है संधिगत वात / जोड़ों के दर्द का परिचय - 

परिचय -आज के समय में संधिगत वात या जोड़ों का दर्द एक आम समस्या बनता जा रहा है | वातादि दोष रस रक्त आदि धातुओं को दूषित करते हुए जब संधियों में स्थित दोषों को दूषित कर देते है तब संधिगत नामक रोग की उत्पत्ति हो जाती है | जिसके कारण शरीर के किसी अंग या भाग में संधिशूल या जोड़ों का दर्द होने लगता है जोड़ों में दर्द, सूजन और कालापन पाया जाता है | जोड़ों में जकड़न और कपंन होती है, जोड़ों में रुक्षता होने से घुटने अकड़ जाते है जो दर्द का मुख्य कारण माना गया है | इस रोग को Joint Pain/ Rheumatoid Arthritis के नाम से जाना जाता है | पुरषों के मुकाबले स्त्रियों में यह रोग अधिक पाया जाता है|  

जोड़ों के दर्द का कारण -

  • वातवर्धक आहार खाने से
  • अत्याधिक व्ययाम करने से 
  • घुटने पर अधिक और बार बार दबाव डालने से सूजन होने पर 
  • वातवर्धक कर्म करने से | 
  • भारी खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक करने से 
  • अनुचित समय पर भोजन करना
  • जलीय जानवरों के मांस का अधिक सेवन करना आदि कई कारण माने गए है| 


जोड़ों के दर्द के लक्षण - 

  • शरीर के अंगों में और जोड़ों में तेज और लगातार दर्द रहना 
  • सन्धियों में जकड़न होना , 
  • जोड़ों में सूजन होना 
  • सिर में भारीपन होना 
  •  गर्दन में अकड़न होना 
  • खड़े होने, चलने फिरने और आराम करने पर दर्द होता रहता है |  
  • हड्डियों में टूटने जैसी पीड़ा होना 
  • जोड़ों का आपस में रगड़ खाना और घुटनों का अटकना आदि लक्षण होते है | 
  • हाथों के जोड़ों में दर्द और कठोरता होना 
  • शरीर में दर्द और कठोरता और भारीपन होना 


जोड़ों के दर्द का आयुर्वेदिक उपचार -

  • जोड़ों में सूजन होने पर गर्म पानी हल्दी, अदरक रस और शहद मिलाकर लेने से दर्द और सूजन में  राहत मिलती है | 
  • जोड़ो के दर्द में मालिश करना लाभदायक होता है इसके लिए सरसों के तैल में लहसुन को पकाकर औषधि तैल तैयार करना चाहिए और फिर इससे हलके हाथों से मालिश करनी चाहिए | 
  • नारियल के तैल में लाल मिर्च को भूनकर  ठंडा होने पर जिस भाग में दर्द हो वहां पर 15 से 20 मिनट लगाकर रखने पर आराम मिलता है| 
  • मेथी दाने का चूर्ण बनाकर निर्गुन्डी के पत्तों के रस के साथ दिन में तीन बार सेवन करने से जोड़ों के दर्द में राहत मिलती है | 
  • 10 ग्राम काले तिल को पीसकर 10 ग्राम पुराना गुड़ मिलाकर बकरी के दूध के साथ सेवन करने पर जोड़ों के दर्द में तुरंत आराम मिलता है | 
  • रोज़ाना हल्का व्यायाम करना फायदेमंद रहता है जिसके कारण जोड़ों की गति ठीक रहती है | 

जोड़ों के दर्द में क्या खाएं  - 

पुराने चावल, जौ, गेहूं, मूंग की दाल, मसूर की दाल, करेला, परवल की सब्जी, बथुआ, आंवला, मक्ख़न, मुनक्का, घी, गाय का दूध इन सबका प्रयोग करना लाभकारी होता है | 

जोड़ों के दर्द में क्या ना खाएं - 

उड़द की दाल, कुल्थ, सेमफली, दही, खट्टे और कड़वे रस  तथा उष्ण और जलन पैदा करने वाले पदार्थ नहीं खाने चाहिए |    
सन्धिगत वात या जोड़ों दर्द उपचार के लिए वैद्य के परामर्श से चिकित्सा करनी चाहिए |   

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