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Najala - jukaam kaaran lakshan aur ayurvedik upachaar

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नजला और जुकाम के कारण लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार -  नजला और जुकाम -  नजला एक प्रकार का संक्रामक रोग है इसकी अवधि सात से दस दिनों की होती है | यह ज्यादातर मौसम के बदलने के दौरान होता है | इस रोग में नाक की श्लेष्मक झिल्ली में हल्की सूजन हो जाती है जिससे रोगी को नाक में दर्द रहता है और नाक में हवा लगने लगती है रोगी को बार बार छींके आती है नाक से पानी निकलता है यह पतला और गाढ़े दोनों तरह का होता है | सावधानी न बरतने पर यह कुपित होकर विकार पैदा करता है |   नजला और जुकाम के कारण - जब जुकाम की चिकित्सा नहीं की जाती तो कुपित होकर नजले का रूप धारण करता है जिसमे रोगी का नाक बंद रहता है उसको साँस लेने में कठिनाई होती है इसे बिगड़ा हुआ जुकाम भी कहते है | जुकाम  नजले  होने के कई कारण होते है जैसे -  अधिक ठंड लगने से या गर्मी लगने से , ठंडा पानी पीने से और ठंडे पानी में सिर धोने से या नहाने से, नजले और जुकाम के रोगी के संपर्क में रहने से, ज्यादा रोने से, और रातभर जागने से |  दिन में अधिक सोने के बाद उठने पर ठंडा पानी पीने से , धूल -मिट्टी में रहने से , धूप में अधिक रहने स

कामकाजी महिलाओं के जीवनशैली रोग-Lifestyle diseases of working women

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कामकाजी महिलाओं की जीवनशैली से होने वाले रोग कामकाजी महिलाओं का लगभग एक तिहाई हिस्सा लाइफ स्टाइल डिसीज की चपेट में है। एक सर्वे के अनुसार 20 से 40 वर्ष तक की महिलाओं में लाइफ स्टाइल डिसीज का खतरा सबसे ज्यादा होता है। समय रहते इन पर ध्यान नहीं देने से यह गंभीर परेशानी खड़ी कर सकती हैं। लगातार बदलती और भागदौड़ भरी जीवनशैली का आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। खास तौर से कामकाजी महिलाओं के लिए यह दिनचर्या कई तरह की समस्याओं को जन्म देती है, जिनके प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है। जानिए कौन से हैं, वे लाइफ स्टाइल डिसीज - 1 डिप्रेशन -  कामकाजी महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण घर और कार्यस्थल पर काम का दबाव अधि‍क होना है। इसके अलावा दोनों ओर की अपनी चिंता और निजी जीवन की कई चीजें मिलकर महिलाओं को अत्यधि‍क तनाव देने का काम करती हैं। ऐसे में कई बार नींद भी बुरी तरह से प्रभावित होती है, और अगर धूम्रपान की आदत हो, तो यह समस्या और बढ़ सकती है। इसके लिए जरूरी है, कि आप अपनी नींद पूरी करें, और भरपूर नींद लें। इसके

Paralysis Causes Symptoms and Ayurvedic Remedies

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पक्षाघात, कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार Paralysis, Causes, Symptoms and Ayurvedic Remedies -  पक्षाघात - आयुर्वेद में लकवा का उपचार संभव है | आयुर्वेदिक उपचार में रोगी के शारीरिक, मानसिक,एवं अन्य लक्षणों को ध्यान में रखते हुए औषधि का चयन किया जाता है | परन्तु ध्यान रहे आयुर्वेदिक औषधियां केवल प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह से ही लेनी चाहिए | आमतौर पर लकवा या पैरालिसिस नाम सुनते ही दिल घबराने लगता है और रोंगटे खड़े हो जाते हैं | लकवा जिसे सामान्य भाषा में पक्षाघात, फाजिल, कम्पवायु आदि के नाम से जाना जाता है चिकित्सीय भाषा में इसे पैरालिसिस कहते है | लकवा बहुत ही भयंकर रोग है, जो शरीर को गतिहीन बना देता है और रोगी को दूसरों पर निर्भर होना पड़ता है |  लकवा का अर्थ है - मांसपेशियों की गति का समाप्त हो जाना |शरीर के जिन भागों में लकवा मारता है जैसे -हाथों,चेहरे व पैर आदि की मांसपेशियों की गति समाप्त हो जाती है | इसके साथ साथ इनमें संवेदना का आभाव हो जाता है | जिससे रोगी को उस स्थान पर दर्द, ठंडक,गर्मी आदि का अहसास नहीं होता है | लम्बे समय तक लकवाग्रस्त रोगी के प्रभावित भाग में

टाइफाइड बुखार- आंत्रज्वर-Typhoid fever symptoms and ayurvedic treatment

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टाइफाइड बुखार- लक्षण और उपचार -  टाइफाइड बुखार -  इसको आंत्रिक ज्वर,  आंतों का बुखार, आंत्रज्वर, मियादी बुखार और  अंतड़ियों का बुखार आदि नामों से जाना जाता है | आधुनिक विज्ञान में इसे TYPHOID FEVER, OR ENTERIC FEVER के नाम से जाना जाता है | इस रोग का प्रमुख कारण Salmonella Typhi नामक बैक्टीरिया है जो प्राणी के शरीर में भोजन के साथ आँतों में चला जाता है | इसके लक्षण 10 से 15 दिनों में दिखने लगते है | अगर इसका सही समय पर उपचार ना किया जाये तो आँतों में से खून के रिसाव का खतरा बढ़ जाता है और निमोनिया तथा दिमाग़ी बुखार होने की संभावना अधिक रहती है | बारिश के मौसम में यह रोग होने की आशंका अधिक होती है |  टाइफाइड होने के  कारण - गंदा पानी पीने से |  ख़राब भोजन खाने से |  बैक्टीरिया युक्त दूषित चीजें खाने से |  दूषित पानी में नहाने और खाना पकाने से | पीड़ित रोगी के संपर्क में रहने तथा उसका जूठा खाने से यह रोग फैलता है| टाइफाइड होने के  लक्षण -  रोगी को 103-104 डिग्री बुखार हर रोज़ रहता है |  ठंड लगती है और बदनदर्द होता है |  सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्

स्वास्थ्य मुद्दे जो सभी को प्रभावित करते हैं -Health Issues That Affect everyone

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स्वास्थ्य मुद्दे जो सभी को प्रभावित करते हैं    हमारे शरीर में स्वास्थ्य के लिहाज से कुछ परेशानियां बनी रहती हैं, जो उम्र, शरीर, तौर-तरीकों और दिनचर्या के अनुसार होती है। लेकिन इनसे बचने के लिए आयुर्वेद और घरेलू नुस्खे हमारे लिए बहुत कारगर साबित होते हैं। जानिए ऐसे ही 5 रोग और उनके उपचार - 1 जोड़ों का दर्द - जोड़ों का दर्द कभी बढ़ती उम्र तो कभी अन्य कारणों से भी होता है। इसके लिए बथुए का रस बहुत कारगर उपाय है। बथुए के पत्तों का रस निकालकर लगभग 15 ग्राम रोजाना पीने से जोड ़ों का दर्द दूर होता है। सुबह खालीपेट इसे पीना बहुत फायदेमंद होगा। अप चाहें तो शाम के समय भी इसका सेवन कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि इसे खाली पेट ही पिएं और दो घंटे बाद तक कुछ भी न खाएं।  2 अत्यधि‍क क्रोध - गुस्सा आना भी एक बड़ी समस्या है। अगर आपको भी बहुत ज्यादा गुस्सा आता है तो अपने दिमाग को शांत रखना आपके लिए बहुत जरूरी है। ज्यादा क्रोध आने पर रोज सुबह आंवले का मुरब्बा खाना आपके लिए फायदेमंद होगा। इसके अलावा गुलकंद का सेवन करना बहुत लाभ देता है। प्रतिदि‍न गुलकंद खाने के बाद दूध पीने स

बदहजमी कारण और इलाज Indigestion Cause and cure

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बदहजमी : कारण और इलाज -   बदहजमी : भोजन के रूप में खाया हुआ आहार जब अच्छी तरह नहीं पचता या हजम नहीं होता तो अपच , बदहज़मी या अजीर्ण रोग कहलाता है |  कारण -  भारी, गरिष्ठ भोजन का अधिक मात्रा में सेवन |  बिना अच्छी तरह चबाए जल्दबाजी में भोजन का सेवन करना  चाय, कॉफी, शराब, तंबाकू का अधिक सेवन, बासी या अधिक मिर्च, मसाले वाला भोजन करना  नींद कम लेना या देर रात तक जागना,  बाद अधिक मात्रा में पानी पीना भी बदहज़मी करता है |  लक्षण - जी मिचलाना, खट्टी डकारें आना, छाती में जलन होना, उलटी करने का मन होना, पेट फूलना, पेट दर्द होना और गैस बनना |   गैस और बदहजमी का  इलाज -  1 . भोजन हमेशा समय पर करें . 2 . प्रतिदिन सुबह देसी शहद में निम्बू रस मिलाकर चाट लें . 3 . जीरा , सौंफ , अजवायन इनको सुखाकर पाउडर बना लें , शहद के साथ भोजन से पहले प्रयोग करें 4 . भोजन के समय सादे पानी के बजाये अजवायन का उबला पानी प्रयोग करें . 5 . लहसुन , जीरा 10 ग्राम घी में भुनकर भोजन से पहले खाएं . 6 . सौंठ चूर्ण और  शहद ये गर्म पानी से खाएं . 7 . लौंग का उबला पानी रोजाना पिये

उच्च रक्तचाप को कम करने के घरेलू उपाय Home treatment for high blood pressure

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उच्च रक्तचाप को कम करने के उपाय जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, शरीर के प्रत्येक हिस्से में रक्त का सही संचरण बहुत आवश्यक है. हमारा ह्रदय वह अंग है जो रक्त को शुद्ध कर शरीर के अन्य अंगों तक पहुंचाता है. धमनियां शुद्ध रक्त को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाने का काम करती है. रक्त के द्वारा ही हमारा शरीर आवश्यक पोषण और ज़रूरी खनिज तत्व प्राप्त कर स्वस्थ रहता है. जब ये धमनियां सही तरीके से अपना कार्य करने में असमर्थ हो जाती हैं तो शरीर में रक्त का संचरण ठीक तरह से नहीं हो पाता और इसका असर हमारे ब्लड प्रेशर या रक्तचाप पर पड़ता है. मानव शरीर का सामान्य रक्तचाप 120/80 को माना जाता है. अगर यह परिमाण 140/90 या इससे ऊपर चला जाये तो स्थिति को घातक माना जाता है जो धीरे धीरे शरीर को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता रहता है. हाई ब्लड प्रेशर जिसके मुख्य कारण निम्न हैं- वंशानुगत (Genetics)-   परिवार में किसी अन्य को यह समस्या होने की वजह से आने वाली पीढ़ी में भी ब्लड प्रेशर की सम्भावना रहती है, अतः यह कहा जा सकता है कि ब्लड प्रेशर के कारण वंशानुगत भी हो सकते हैं. मोटापा और अत्यधिक वसा (